मित्रों पेड़ हमें जीवन देते हैं पर जिस तरह आज पेड़ों की अवैध कटाई की उससे संपूर्ण मानव जाति का अस्तित्व खतरे में पड़ता जा रहा है. पर्यावरण का छति पहुंचा कर हम स्वयं विनाश को दावत दे रहे हैं. पेड़ पौधे मिट्टी को बांधे रखते हैं, और मिट्टी की कटान,बाढ़ और भूस्खलन रोकते हैं. उत्तर भारत और गुजरात ,महाराष्ट्र में आई विनाशकारी बाढ़ इसका जीता जागता उदाहरण है. जापान और अमेरिका आज सुनामी और तूफ़ान का खतरा झेल रहे हैं ये सब पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ का ही प्रतिफल है. हमें हरे पेड़ों की अवैध कटाई को रोकना है.
समस्त मातृ शक्तियों को शत शत नमन. पर सिर्फ एक दिन के लिए नहीं.जीवन भर के लिए.मित्रों एक दिन के नारी सम्मान के दिवस मानाने से दूर हर दिन सभी मानव जाति को एक साथ बिना किसी भेद भाव के आपस में सम्मान और प्रेम का भाव रख कार्य करना चाहिए.एक दिन के आदर से नारी के उत्थान का मार्ग प्रशस्त नहीं होना है. मेरा यह मानना है कि महिला दिवस को बाजार के इस्तेमाल के लिए और उत्पादों के प्रचार के लिए ही बनाया जा रहा है. इससे दूर रहना होगा..इसलिए महिला दिवस के बजाय महिलाओं के सम्मान को बढ़ाने का उपक्रम और उनको शिक्षित करने के प्रयासों पर कितनी सफलता मिली इस पर गौर करना ज्यादा जरूरी है. भारत देश में हमेशा महिलाओं का सम्मान हुआ है..प्राचीन वेदों, पुरानो में यात्रा नार्यस्तु पूज्यन्ते तत्र देवताः निवसन्ति कहा गया है..कुछ कुलीन लोगों और छद्म विद्वानों ने भारतीय संस्कृति के उलट महिलाओं को कमजोर करने का प्रयास किया..जिससे उनकी दयनीय हालत हुई..पर अब समय बदल रहा है. खुद प्रयास करने के बजाय अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर कुछ पुरस्कार प्राप्त करने के उद्देश्य से भारत के लोगों और संस्कृति को बदनाम करने और उन्हें कोसने के बजा...
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