मित्रों बाल दिवस मनाना सिर्फ नेहरु जयंती और उनके महिमा मंडन करने ही नहीं है, अपितु उन गरीब असहाय बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाना है जिनके चेहरे से हंसी और जीवन से खुशियाँ रूठी हुई हैं. जिस दिन हम उनमे से किसी एक बच्चे के चेहरे की ख़ुशी लौटा देंगे उस दिन सच्चे अर्थों में बाल दिवस मनाना हम सबके लिए सार्थक होगा.भूख से बिलखते बच्चे, अशिक्षित,दुकानों, ढाबों, मिलों,कारखानों में काम करने वाले बच्चों के लिए ऐसे बाल दिवस का क्या मतलब???
समस्त मातृ शक्तियों को शत शत नमन. पर सिर्फ एक दिन के लिए नहीं.जीवन भर के लिए.मित्रों एक दिन के नारी सम्मान के दिवस मानाने से दूर हर दिन सभी मानव जाति को एक साथ बिना किसी भेद भाव के आपस में सम्मान और प्रेम का भाव रख कार्य करना चाहिए.एक दिन के आदर से नारी के उत्थान का मार्ग प्रशस्त नहीं होना है. मेरा यह मानना है कि महिला दिवस को बाजार के इस्तेमाल के लिए और उत्पादों के प्रचार के लिए ही बनाया जा रहा है. इससे दूर रहना होगा..इसलिए महिला दिवस के बजाय महिलाओं के सम्मान को बढ़ाने का उपक्रम और उनको शिक्षित करने के प्रयासों पर कितनी सफलता मिली इस पर गौर करना ज्यादा जरूरी है. भारत देश में हमेशा महिलाओं का सम्मान हुआ है..प्राचीन वेदों, पुरानो में यात्रा नार्यस्तु पूज्यन्ते तत्र देवताः निवसन्ति कहा गया है..कुछ कुलीन लोगों और छद्म विद्वानों ने भारतीय संस्कृति के उलट महिलाओं को कमजोर करने का प्रयास किया..जिससे उनकी दयनीय हालत हुई..पर अब समय बदल रहा है. खुद प्रयास करने के बजाय अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर कुछ पुरस्कार प्राप्त करने के उद्देश्य से भारत के लोगों और संस्कृति को बदनाम करने और उन्हें कोसने के बजा...
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