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Showing posts from February, 2012
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मेरी यह कविता गुजरात के वास्तविक दर्द को बयां करती है जो अनछुए रह गए छद्म सेकुलर लोगों के बीच.दोस्तों गोधरा में ट्रेन में जले लोगों के परिवार का दर्द और दंगों में मारे गए लोगों का दर्द एक है जिसे  अलग- अलग कर इंसानों को धर्म के हिसाब से देखा गया. मैं मानता हूँ हो हुआ था वह दुखद था पर जिस तरह से मीडिया ने पक्षपाती तरीके से इसे रखा उसने फिर से साम्प्रदायिकता की आग में घी डालने का काम भी किया है. दोनों पहलुओं को रखना था पर यह काम उन्होंने नहीं किया जिसे मैं आपके सामने रख रहा हूँ..देशवासी सभी ये प्रण करे की दोबारा ऐसी क्रिया प्रतिक्रिया न हो.. "माना जिन्होंने किये थे दंगे वो हाँथ थे हैवान, पर जो जलकर मरे ट्रेन में वो भी थे इन्सान. इन्सान इन्सान है होता मत बाँटो इसे धर्मो में, मरता है इन्सान इन दंगों और अधर्मो में. वोट बैंक की खातिर सिर्फ रोते रहे दंगो पर, क्या कभी आंसू बहे थे जले हुए उन अंगों पर? उस ट्रेन में भी किसी के बाप भाई और दद्दू थे.क्या उनका यही कसूर था की वो सारे हिन्दू थे?"  
valentain रोम में एक कैदी था वहा पर एक निरंकुश राजा ने शादी पर बैन लगा रखा था तो ये वहां पर चोरी से शादियाँ करते थे और आज के दिन वो मर गया था .लेकिन ये तो गंदे राजा से चोरी करता था क्योंकि वो राजा दुष्ट था पर हम तो आज अपने माँ बाप से चोरी कर रहे है तो इसका मतलब क्या हुआ .वैसे भी हमारे त्योंहार तो दुनिया में कोई नहीं मनाता है और हम क्या कर रहे है कहाँ गया आजाद के देश वालो का आत्मसम्मान.तो आज माता पिता दिवस मनाओ और भारत माता का सम्मान करो भूल गए के अंग्रेजो ने क्या क्या किया था ? Australia,Canada,America,eng land french सभी देशों में भारतीयों का अपमान हुआ है और हम उनके त्यौहार मना रहे है वो अब्दुल कलाम तक के कपडे उतार लेते है और हम उन्हें देवता मान रहे है क्या हमारे देश में संत नहीं हुए बाल्मीकि ,रविदास ,वेदव्यास,कबीर ,गुरु गोरखनाथ आदि क्या हमें इनकी भी जनम तिथि याद है नहीं ,क्योंकि हमें तो एक साजिश के तेहत बर्बाद किया जा रहा हे ताकि हम सिर्फ ५००० साल पहली सभ्यता के सामने अपनी २ अरब साल पहली सभ्यता भूल जाये जैस मेकाले ने कहा था वैसा ही हो रहा हे|